Chandrashekhar Azad Ravan Biography In Hindi | भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण की जीवनी
Chandrashekhar Azad Ravan Biography In Hindi: ये हमेशा अपने साथ संविधान की कॉपी लेकर चलते हैं और कहते हैं कि देश संविधान के हिसाब से चलना चाहिए। इनका मानना है कि सभी को समानता का अधिकार मिलना चाहिए। जी हाँ दोस्तों आज हम बात करने जा रहे हैं भीम आर्मी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद रावण की जीवनी के बारे में।
आखिर ये चंद्रशेखर आजाद रावण कौन है और उसकी भीम आर्मी जिसकी इतने कम समय मे पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपना अच्छा खासा प्रभाव बना लाया है।
साल 2017 में सहारनपुर के सबीरपुर गांव में दलितों कर सवर्णों के बीच एक हिंसा हुई। इस हिंसा के दौरान एक संगठन जो बहुत तेजी से उभर कर आया उसका नाम था ‘भीम आर्मी’। भीम आर्मी का पूरा नाम ‘ भारत एकता मिशन भीम आर्मी’ है और इस पार्टी का गठन करीब छः साल पहले 2014 में किया गया था।
जोश से भरे इस संगठन के संस्थापक और अध्यक्ष युवा नेता चंद्रशेखर आजाद है। जिन्होंने अपना उपनाम रावण रखा हुआ है। किस तरह से इन्होंने दलितों के मसीहा से लेकर भीम आर्मी के अध्यक्ष पद तक का सफर किया आइये भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण की जीवनी के माध्यम से विस्तार से जानते हैं।
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण की जीवनी | Chandrashekhar Azad Ravan Biography In Hindi
दोस्तों दलितों के लिए एक बड़े नेता के रूप में उभर रहे चंद्रशेखर आजाद रावण का जन्म 3 दिसंबर 1986 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के धड़कुली गांव में हुआ था। जिले के एक स्थानीय कॉलेज से चंद्रशेखर रावण ने कानून की शिक्षा प्राप्त की। चंद्रशेखर पेशे से एक वकील है।
कुछ अफवाहों की मानें तो कुछ लोग चंद्रशेखर आजाद रावण का असली नाम नसीमुद्दीन खान बताते हैं लेकिन ये बस एक अफवाह है। चंद्रशेखर आजाद रावण का असली नाम चंद्रशेखर आजाद ही है और अपना रावण नाम खुद ही रखा है।
चंद्रशेखर आजाद रावण के पिता का नाम गोवर्धन दास है जो कि सरकारी स्कूल के रिटायर प्रिंसीपल है। इनके नाम के आगे रावण शब्द लगे होने का कारण पूछने पर ये कहते हैं कि रावण बहुत बुद्धिमान व्यक्ति था। जो आदमी अपनी बहन के आत्मसम्मान के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया हो वो आदमी भला बुरा कैसे हो सकता है?
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चंद्रशेखर भी समाज में फैली उच्च-नीच की कुप्रथा को दूर करना चाहता है। वह भी सबको समान अधिकार दिलाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने अपने नाम के पीछे रावण लगाया।
भीम आर्मी का गठन और चंद्रशेखर आजाद रावण का राजनीतिक जीवन परिचय | Chandrashekhar Azad Ravan Party
दोस्तों भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण का राजनीतिक जीवन परिचय के बारे में बात करें तो उन्होंने सन 2014 में भीम आर्मी का गठन किया था। इस संगठन का मतलब ही है ‘भारत एकता मिशन’। इसके तहत ये उनलोगों को समान अधिकार दिलाना चाहते हैं जिनको आज भी मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा गया है।
वर्तमान समय में भीम आर्मी से 350 से भी ज्यादा फ्री स्कूल चलाये जा रहे हैं। ये स्कूल मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली आदि कई जगहों पर चलाये जा रहे हैं। चंद्रशेखर आजाद रावण बी आर अम्बेडकर को अपना आदर्श मानते हैं। दलित समाज वाले वर्गों के लिए विकास के लिए स्थापित किया।
भीम आर्मी का कहना है कि वो शिक्षा के माध्यम से दलितों के लिए काम कर रहा है। इस पार्टी का मुख्य केंद्र उत्तर प्रदेश में है। साल 2014 में भीम आर्मी पार्टी चर्चा में आया और इस पार्टी का चर्चा में आने की मुख्य वजह थीं उत्तर प्रदेश में फैले जातीय संघर्ष।
चंद्रशेखर रावण के अगुवाई में लगभग 25 युवा भीम आर्मी को संभालते है। भीम आर्मी दलित नाम और सोच के खिलाफ है और अंबेडकर वादी सोच रखने वाले लोगों का स्वागत करती है। ये पार्टी आगे भी कैसे काम करती है ये सबसे बड़ा विषय है।
आपको बता दें कि भीम आर्मी पार्टी के मूल संस्थापक चंद्रशेखर आजाद रावण नहीं है बल्कि एक दलितों के चिंतक सतीश कुमार है। इस पार्टी को उनके ही दिमाग का उपज बताया जाता है। सतीश कुमार ऐसे संगठन को बनाने के लिए कई सालों से सोच रहे थे जो दलितों का करने वालों का जवाब दे सकें।
लेकिन उनको कोई पार्टी को पहचान दिला सके ऐसा योग्य दलित नेता नहीं मिल पाता था जो भीम आर्मी का कमान संभाल सकें। ऐसे में जब सतीश कुमार को चंद्रशेखर मिले तो उन्होंने बिना कोई सोचे चंद्रशेखर रावण को भीम आर्मी का अध्यक्ष बना दिया।
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद रावण के विवाद | Story Of Chandrashekhar Azad Ravan in Hindi
वैसे तो इनके विचार अच्छे हैं लेकिन कई बार हिंसा की वजह से चन्द्रशेखर आजाद रावण को काफी विवादों का भी सामना करना पड़ा है। जैसे 2017 में दलित समाज और ठाकुरों के बीच हिंसा भड़क गई थी।
इसी जातीय हिंसा संघर्ष को बढ़ावा देने के आरोपों के बीच भीम आर्मी के कर्ता धर्ता चंद्रशेखर को गिरफ्तार किया गया था और उनको चौदह दिन के न्यायायिक हिरासत में भेज दिया गया था। लेकिन 2017 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इनको जमानत पर रिहा कर दिया गया। जिसको लेकर इनके पार्टी के कार्यकर्ता काफी सवाल भी उठाए थे।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलित युवकों के बीच अच्छी-खासी पहचान बना चुके भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद रावण का जीवन भी काफी विवादों पर भरा रहा है। वे कपङे विवादित बयानों से हमेशा सुर्खियों में बनें रहते हैं। एक बार उन्होंने दिल्ली के जंतर मंतर पर भाषण में कहा था-जिस दिन देश के संविधान पर कोई आंच आयी तो इसके बदले खून की होली देखने को मिलेगी।
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सबीरपुर में हुई हिंसा के बाद रावण ने 9 मई 2017 को सहारनपुर के महानगर में एक पंचायत बुलाई। इस पंचायत के लिए पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी। लेकिन सोशल मीडिया के जरिये इस पंचायत की खबर हर जगह पहुँचायी गयी। सैकड़ों की संख्या में लोग उसमें शामिल हुए।
इस भीड़ को रोकने के लिए पुलिस को सख्त कदम भी उठाने पड़े। यहाँ तक कि इस सभा को रोकने के दौरान पुलिस और भीम आर्मी के समर्थकों के बीच जमकर संघर्ष हुआ। इसके बाद इस हिंसा का मुख्य जिम्मेदार चंद्रशेखर रावण को इसका मुख्य आरोपी माना गया और उनके खिलाफ मामला दर्ज करके गिरफ्तार कर लिया गया।
वो पहली बार 2015 में विवादों में घिरे जिसका मुख्य कारण था कि उन्होंने गांव के बाहर “द ग्रेट चमार” का बोर्ड लगाया था। उनके इस कदम से गांव के दलितों और ठाकुरों के बीच तनाव पैदा कर दिया था। चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया के जरिये काफी सुर्खियां बटोरी है।
चंद्रशेखर ने फेसबुक और व्हाट्सएप्प के जरिये काफी संख्या में लोगों को भीम आर्मी से जोड़ने का काम किया। भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण ने अपनी ताकत उस समय दिखाई जब नई दिल्ली के जंतर मंतर पर बड़ी संख्या में दलितों ने पुलिस करवाई के खिलाफ प्रदर्शन किया था।
सितम्बर साल 2016 में सहारनपुर के छुटमलपुर स्थित AHP इंटर कॉलेज में दलित छात्रों की कथित पिटाई के बाद हुए विरोध प्रदर्शन के बाद पहली बार ये संगठन सुर्खियों में आया था।
5 मई 2017 को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से पचीस किलोमीटर दूर सबीरपुर गांव में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसा हुई थी। इस हिंसा में कथित तौर पर उस गांव के कुछ ठाकुर लोगों के द्वारा दलितों के पचीस घर को जला दिये गए थे। जिसमें एक दलित युवक की मौत भी हो गयी थी। इस हिंसा के विरोध में जब प्रदर्शन किया गया तो पुलिस ने लगभग 40 लोगों को जेल में डाल दिया और वहीं गांव के 300 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया।
इस पूरे मामले के बाद चंद्रशेखर आजाद रावण के नेतृत्व में भीम आर्मी ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया था। करीब छः साल पहले चंद्रशेखर ने गांव के कुछ युवाओं को अपने साथ लेकर भारत एकता मिशन के गठन किया था।
भीम आर्मी आज दलित युवाओं का एक पसंदीदा संगठन बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग बड़ी संख्या में लोग इस संगठन से जुड़ रहे हैं। खास बात ये है कि इस संगठन में दलित युवकों के साथ-साथ पंजाब और हरियाणा के सुख युवा भी शामिल है। यूपी के सहारनपुर में ये संगठन अपनी खास पहचान बनाई हुई है।
शुरू में भीम आर्मी का गठन करने का मुख्य उद्देश्य यही था कि दलित समाज की गरीब कन्याओं का पैसा जुटाकर विवाह करना और दलितों की सेवा करना था। रामनगर में हुए बवाल के बाद इस संगठन का पैर स्वरूप ही जैसे बदल गया।
हमेशा से राजनीति को दोगला बताने वाले चंद्रशेखर ने हाल ही दिल्ली के जंतर मंतर में हुई अपनी रैली में राजनीति में आने का एलान किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी सीट से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कही थी लेकिन चुनाव से कुछ दिन पहले ही उन्होंने ये कहकर अपना नाम वापस ले लिया था कि भाजपा को हराने के लिए दलित वोटों में बंटवारा नहीं होना चाहिए।
जिसके बाद 15 मार्च 2020 को इन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाने का एलान किया था। दोस्तों चंद्रशेखर आजाद रावण के पार्टी का नाम आजाद समाज पार्टी। आशा है कि ये अपनी पार्टी के जरिये लोगों के समस्याओं को दूर कर सकेंगे।
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चंद्रशेखर आजाद रावण को हाल ही में हाथरस की घटना को हिंसा को उकसाने और भड़काने के लिए भी जिम्मेदार माना जा रहा है। चंद्रशेखर आजाद रावण इस घटना के लिए पूरा जिम्मेदार योगी आदित्यनाथ को ठहराते हैं और कहते हैं ऐसी घटना के लिए गलत नीति ही जिम्मेदार है।
साथियों चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को अभी काफी लंबे सफर देखना होगा। वो लोगों के उम्मीदों ओर किस तरह खड़े उतरते हैं और अपना काम किस तरह जारी रखते हैं।
दोस्तों आप सभी को चंद्रशेखर आजाद रावण की जीवनी(Chandrashekhar Azad Biography In Hindi) कैसी लगी और आप इनके किस विचार से सबसे ज्यादा प्रभावित है, आप कमेंट करके अपने राय जरूर दें।
बहुत हि बढियां