Akbar Birbal Best Stories In Hindi | Akbar Birbal Ki Kahani | अकबर बीरबल की मजेदार कहानियां
आज की इस short hindi story में अकबर बीरबल की एक बेहद रोचक कहानी के बारे में जानेंगे। साथियों Akbar birbal hindi story में एक ऐसी रोचक कहानी को सुनाने जा रहे हैं, जिसको सुनने का बाद आप भी बीरबल की बुद्धिमानी को सलाम करेंगे।
आपको तो पता ही है कि बीरबल की बुद्धिमानी के किस्से हर जगह प्रचलित है। पर क्या आप जानते हैं, बीरबल बाल्यकाल से ही बहुत बुद्धिमान थे। उनकी बाल्यावस्था की बुद्धिमानी से ही प्रसन्न होकर राजा अकबर ने उनको अपने नवरत्नों में सबसे प्रमुख स्थान दिया था। तो चलिए अकबर बीरबल की पढ़ने वाली मजेदार कहानी के बारे में बिस्तार से जानते हैं।
अकबर बीरबल के किस्से कहानियां | Akbar Birbal Stories in Hindi With Moral
जिस समय बालक बीरबल की आयु पन्द्रह साल की हुई, तब उनके माता पिता दोनों न मालूम किस अगोचर प्रदेश को चले गए थे। उस समय गरीब बीरबल के पास केवल पचास रुपये थे। वे पढे-लिखे भी कम ही थे।
खूब सोच-समझकर उन्होंने पान की दुकान खोली, वो भी राजा के किले के पास। उस समय राजा अकबर आगरा के किले में निवास कर रहे थे। गोस्वामी तुलसीदास जी को कैद करने के कारण वीर बजरंगी ने बादशाह को किले से हमेशा के लिए निकल जाने की आज्ञा दे दी थी।
अतः अकबर, जहांगीर और शाहजहां ने आगरा के किले में ही रहकर राज किया था। औरंगजेब जरूर दिल्ली के किले में जाकर रहा था। इसलिए हमेशा के लिए इस्लामी राज्य खत्म भी हो गया था।
बीरबल की चतुराई की कहानी | Akbar Birbal Ki Kahani
एक दिन बालक बीरबल अपनी पान को दुकान पर बैठा सुपारी काट रहा था और माँ सरस्वती देवी का मंत्र ‘ॐ ऐ ॐ’ जाप कर रहा था। आजकल के विद्यार्थियों को तो माँ सरस्वती का मंत्र ही मालूम नहीं रहता है। जो विद्या का बीजमंत्र नहीं जानता और विद्या प्राप्त करना चाहता है, उसे विद्या का प्रेत कहा जाता है।
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बीरबल ने देखा कि किले से निकलकर एक ‘मियां’ उनकी तरफ आ रहा है। वह मियां दुकान के सामने आकर खड़ा हो गया और बोला- पंडित जी आपके पास चुना है ?
बीरबल ने पूछा- कितना चाहिए ?
मियां बोला- पावभर भीगा हुआ ताजा चुना चाहिए।
आपके पास इतना ताजा चुना तो होगा।
बीरबल ने कहा- मेरे गगरी में तीन सेर चुना भीग रहा है। जितना चाहो ले जाओ, पर ये तो बताओ पाव भर चुने की जरुरत क्यों पड़ी ?
क्या बतलाऊँ महाराज! बादशाह सलामत गुशल फ़रमान भेजा तो मैंने पान पेश किया। उसे खाते-खाते वे एक कुर्सी पर बैठ गए और हुक्म दिया कि पावभर चूना लाओ।
बीरबल बोले- मगर अपने लिए एक कफन भी साथ लेते आना।
अरे पंडित जी! यह आप क्या फरमाते हैं ?
बीरबल बोले- क्या तुम बादशाह के लिए पान लगाने पर नौकर हो ?
मिया बोला- जी महाराज।
कितने दिनों से ?
मिया बोला- यहीं कोई पन्द्रह साल हो गये।
फिर भी आपको पान लगाना नहीं आया।
मियां बोला- आप तो उलझन-में-उलझन पैदा कर रहे हैं।
बीरबल बोले- जनाब मैं आपकी सारी उलझने दूर करता हूँ।
मियां- आपका मतलब।
बीरबल- यह कि ये पाव भर चूना तुमको खिलाया जाएगा।
मिया-तब तो मैं मर जाऊंगा।
बीरबल- इसलिए तो मैंने तुमको कफन भी साथ ले जाने की सलाह दी थी।
मियां- आखिर मेरा कसूर क्या है ?
तुमने पान में चूना ज्यादा लगा दिया। बादशाह की जीभ कट गई है। चूने की कठोरता से तुमको परिचित करवाने के लिए ये मंगवाया गया है।
यानी?
यानी यह पावभर चूना तुमको खिलाया जाएगा।
सच कहते हो पंडित जी तुम! तुम तो कोई ज्योतिष जान पड़ते हो। सारा हाल तुमने आईने के जैसा सामने रख दिया। अल्लाह तुम्हे बरकत दें। अब मेरे बचने का भी कोई उपाय बताओ ज्योतिष महाराज।
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एक सेर घी पी लो, फिर यह चूना ले जाओ। जब बादशाह कहे कि चूना खाओ तो बेधड़क तुम चूना खा लेना। चूना का शत्रु घी है। घी के प्रभाव से न तो तुम्हारी जबान कटेगी और न कलेजा फटेगा। तुम मरोगे भी नहीं। चुने का जहर घी मरेगा और घी का जहर चूना मरेगा। दोनों लड़कर आपस में मर जायेंगे।
खुदा तुम्हारा दर्जा ऊंचा करे। तुम्हारी दुकान भी खूब चले।
बीरबल ने कहा- हां अपने खाने के लिए कल दो सेर घी लिया था, एक सेर तुम ले लो।
बीरबल ने तौल कर पावभर चूना और और सेर भर घी दे दिया। दोनों चीजों का दाम देकर मियां ने घी पी लिया और चूना लेकर महल की तरफ जल्दी से चला गया।
बादशाह अकबर ने पूछा- चूना लाया।
जी हां- महाराज! मियां ने बोला।
बादशाह ने हुक्म दिया- यहीं बैठकर खा जाओ।
मियां सामने बैठ गया, बादशाह के सामने चूना दिखाकर सारा चूना खा गया।
शाम को जब वहीं मियां बादशाह को पान देने गया, तब बादशाह ने पूछा- क्यों मुनीर! तू अभी तक मरा नहीं ?
मियां बोला- हुजूर की इकबाल से बच गया ?
कैसे बचा?
तब उस मियां ने बीरबल का सारा किस्सा बयान कर दिया।
बादशाह ने आदेश दिया- कल दरबार मे उस लड़के को पेश किया जाए।
अकबर बीरबल के सवाल जवाब | Akbar Birbal Interesting Stories In Hindi
सबेरा हुआ। दरबार लगा। मियां गया और बीरबल को बुला लाया। बीरबल ने बादशाह को सलाम किया। बादशाह हंसा। फिर बोला- क्यों लड़के! इस मिये को घी पीने की सलाह तुमने दी थी।
जी, जहाँपनाह!
क्यों?
क्योंकि मैं समझ गया था कि इसने आपके पान में ज्यादा चूना मिला दिया है।
तुम बहुत अक्लमंद मालूम पड़ते हो।
माँ सरस्वती की कृपादृष्टि है- महाराज।
तुम मेरे एक इम्तहान में पास हुए हो। दो सवालों का जवाब तुमसे और लिया जायेगा। अगर तीनों बातें ठीक निकली तो तुमको कुछ इनाम दिया जायेगा।
फरमाइए- जहाँपनाह।
बादशाह ने अपने आठों मंत्री बुलाये और सबको एक कतार में खड़ा किया। सबके अंत में बालक बीरबल को खड़ा किया और फिर बादशाह ने अपने मन्त्रियों से सवाल किया।
12 में से एक गया- क्या रहा?
आठो मन्त्रियों ने क्रमशः उतर दिया-11 बाकी रहे हुजूर। मगर जब बीरबल की ओर इशारा किया गया, तब उसने कहा- कुछ भी बाकी नहीं रहा- जहाँपनाह।
बादशाह ने पूछा- कैसे?
बीरबल ने उत्तर दिया- महाराज अगर बारह महीनों में से यदि एक सावन का महीना निकल जाए तो पैदावार की सफाई हो जाएगी। अतः कुछ भी नहीं होगा। बादशाह के प्रत्येक सवाल में रहस्य रहना चाहिए। वजीरों से मामूली सवाल नहीं पूछा जाता।
बादशाह बहुत खुश हुए, आठों वजीर बहुत लजाये। हँसकर बादशाह ने कहा- सारे वजीर नम्बर से जवाब देंगे- एक और एक कितना हुआ ?
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आठों मंत्रीयों ने उत्तर दिया- दो हुए महाराज।
परन्तु बीरबल ने उत्तर दिया- एक और एक ग्यारह हुए महाराज।
बादशाह ने कहा- वो कैसे?
बीरबल ने उत्तर दिया- महाराज अगर आप जैसा बादशाह हो और मुझ जैसे मंत्री हो तो एक और एक दो नहीं बल्कि ग्यारह के समान हो जाएंगे।
बादशाह अकबर बहुत खुश हुये। उन्होंने कहा मैं अपनी बादशाही में नौ वजीर बनाना चाहता था। पूरा नवग्रह चाहता था। आठ मिल गए थे। तुम आज मिल गए हो। लड़के तुम्हारा नाम क्या है?
मुझे बीरबल कहते हैं जहाँपनाह।
‘महाराज बीरबल! आज से तुम ‘वजीरे आजम’ हुए और आपको ‘महाराज’ का खिताब दिया जायेगा।
बीरबल ने कहा- महाराज आपने जो मेरी कद्र की है उसके लिए शुक्रिया।
बादशाह की आज्ञा से बीरबल को प्रधानमंत्री वाली पोशाक दी गयी और शाही सिंहासन के दाहिनी ओर छोटे सिँहासन के बगल में बैठने की जगह दी गयी। शेष आठों मंत्री उनके नीचे चौकियों पर बैठाए गये।
यह बात तो सबको मालूम है कि अकबर और बीरबल का साथ बहुत दिनों तक रहा था।
Akbar Birbal Interesting Facts In Hindi
आपको अकबर बीरबल से जुड़ी एक जबरदस्त तथ्य के बारे में बताते हैं। 36 साल तक दोनों में मित्रता रही और साथ रहा था। जब काबुल की लड़ाई में महाराज बीरबल मारे गए थे, तब बादशाह अकबर बीरबल की मृत्यु की खबर सुन कर बेहोश होकर खड़े जमीन पर गिर गये थे।
बादशाह अकबर ने कहा था- ‘कितना अच्छा होता जो मैं भी महाराज बीरबल के साथ मर जाता। ज़िन्दगी तो बीरबल के साथ चली गयी अब तो मौत के दिन पूरे कर रहा हूँ ।
माँ सरस्वती देवी को सिद्ध करके बीरबल ने अपना नाम अमर कर दिया।
अकबर बीरबल की कहानियों की ऐसे ही अनेकों रोचक किस्से हैं। साथियों कहा जाता है कि अकबर को बीरबल के बिना एक पल भी चैन नहीं आता था। वे हमेशा साथ रहते थे।आपको ये akbar birbal ki kahani कैसी लगी comment करके जरूर बताइयेगा।
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