Top 3 Real Life Inspirational Short Stories In Hindi For Kids

Top 3 Real Life Inspirational Short Stories In Hindi For Kids

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प्रेणादायक कहानियां

Top 3 Real Life Inspirational Short Stories In Hindi For Kids: दोस्तों हमारे जिंदगी में कई बार ऐसी मुश्किलें और समस्याएं आती है कि कोई रास्ता ही दिखाई नहीं देता कि हम अपने लक्ष्य को पा सकते हैं या नहीं ? कई बार तो हम अपनी समस्याओं को अपने ऊपर इतना हावी हो जाने देते हैं कि हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं।

इसके बाद हम अपनी कमियों के दोष किसी और को देते हैं कि इसके वजह से हम कुछ नहीं कर पाये। लेकिन साथियों ये सच है कि अगर हम आज कमजोर है तो सिर्फ अपनी वजह से ना कि किसी दूसरे की वजह से।


दोस्तों आज आपको इसी के बारे में Top 3 Real Life Inspirational Short Stories हिंदी में ऐसे कहानी सुनाने जा रहे हैं जो आपके सोच को बदल देगा। आपके अंदर एक नया ऊर्जा भर देगा। तो चलिए बच्चों आपको टॉप 3 प्रेणादायक कहानियां सुनाते हैं जो आपके जीवन में काफी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है।


 गरीब की उड़ान

 ● हौसलों की उड़ान

 ● माँ की इज्जत


1. Best Motivational Short Story in Hindi For Kids | गरीब की उड़ान


एक छोटे से गांव में लक्ष्मीबाई नाम की एक औरत रहा करती थी। वो बहुत ही गरीब थी और एक किराये के घर में रहती थी। उसके पति को गुजरे दो साल से भी ज्यादा हो गए थे। उसका एक लड़का भी था। उसका नाम राजेश था।


पति के गुजरने के बाद घर चलाने की सारी जिम्मेदारी लक्ष्मीबाई के कंधों पर आ गयी थी। बेटे राजेश के पढ़ाई का भी बोझ उठाना पड़ता था। लक्ष्मीबाई हमेशा सोचती थी उसका बेटा एक दिन पढ़-लिखकर बहुत बड़ा अफसर बनेगा।


लक्ष्मीबाई जब भी कोई काम करती थी उसके साथ उसका बेटा राजेश भी साथ चला जाता था। वो लोगों के घर जाकर बर्तन मांजती, लोगों के घरों में खाना बना देती थी तो राजेश लोगों के घर आये अखबार को बहुत ध्यान से पढ़ता था।


एक दिन जब राजेश किसी मालकिन के घर अखबार पढ़ रहा था तो घर की मालकिन ने कहा- अरे राजेश तू अखबार पढ़ लिखकर कौन सा बड़ा अफसर बन जायेगा जो इतनी ध्यान से अखबार पढ़ रहा है। इससे अच्छा है अपनी माँ के कामों में हाथ बंटाओ इससे तुम्हारी माँ का मदद भी हो जायेगा।


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इस बात को सुनकर राजेश बोला- मालकिन मुझे एक दिन बहुत बड़ा अफसर बनना है कलक्टर बनना है। हम किताबें नहीं खरीद सकते इसलिए ज्ञान पाने के लिए अखबार पढ़ता हूँ। मालकिन ये बात सुनकर जोर से हंसी और बोली- तुम कलक्टर बनेगा अपनी शक्ल देखी है आईने में। ये कहकर मालकिन जोर जोर से हंसने लगी।


लक्ष्मीबाई को ये बात सुनकर बहुत बुरी लगी और वो अपने बेटे को लेकर वहाँ से चली गयी। इसके बाद लक्ष्मीबाई ने शादियों में रोटी बनाने का काम शुरू किया। वो अकेली ही पन्द्रह से बीस किलो आंटे की रोटियां पकाती थी। वो अपना काम सुबह तीन बजे उठकर ही शुरू कर देती थी।


उसके साथ राजेश भी उठता था और माँ की मदद करके अपनी पढ़ाई करता था। एक दिन अचानक मकान मालिक उसके माँ के पास आये और बोले क्या लक्ष्मीबाई तुम और तुम्हारा बेटा सुबह तीन बजे ही उठ जाते हो और ये लाइट जलाते हो। तुम्हारी वजह से बिजली का बिल ज्यादा आता है या तो बिजली का बिल ज्यादा दिया करो या फिर कमरा खाली कर दो। ये कहकर मकान मालिक गुस्से से वहाँ से चले गए।


फिर राजेश ने लालटेन जलाई और पढ़ाई करने लगा। माँ भी लालटेन के प्रकाश में ही रोटियाँ बनाने लगी। ऐसे ही राजेश ने जी लगाकर पढ़ाई की और क्लास में हमेशा फर्स्ट आने लगा। राजेश की पढ़ाई में लगन देखकर उसके गुरुजी ने आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली जाने की सलाह दी और उसका पूरा खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली।


राजेश की उम्र उस समय 22 साल का था। फिर क्या था राजेश दिल्ली चला गया और खूब मन लगाकर पढ़ाई करने लगा। वो घन्टो लाइब्रेरी में किताबें पढ़ता रहता था। फिर एक दिन जब उसके एग्जाम का टाइम आया। एग्जाम देने जाते समय एक गाड़ी से धक्का लग गया। राजेश जमीन पर गिर गया। उसके बाएं हाथ और सीने में चोट आई।


अब वो सोचने लगा कि मेरे हाथ से खून बह रहा है और सर में चोट लगी है। इस हालत में अस्पताल जाऊं या एग्जाम देने। अगर अस्पताल जाऊंगा तो ये मेरा पूरा साल बर्बाद हो जाएगा और मेरे लिए फिर से एक साल पढ़ना मुमकिन नहीं है। फिर दिल्ली में रहने का खर्चा भी कौन उठाएगा। मेरे सिर्फ बायें हाथ पर चोट लगी है पर दायाँ हाथ तो ठीक है। मैं इस हाथ से एग्जाम दे सकता हूँ।


इसके बाद राजेश किसी तरह परीक्षा केंद्र पहुंच गया और परीक्षा दी। परीक्षा देने के बाद राजेश अस्पताल में भर्ती हुआ और इलाज जारी रखा। राजेश ने अस्पताल में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी और इंटरव्यू में भाग लिया।


फिर कुछ दिन के लिए राजेश वापस अपनी माँ के पास गांव चला आया। कुछ दिनों बाद माँ ने रिजल्ट के दिन अखबार खरीद कर लाया और राजेश को परिणाम देखने को कहा।


जब राजेश ने अपना रिजल्ट देखा तो उसने जोर से चिलाया माँ मैं परीक्षा में पास हो गया। तुम्हारा बेटा परीक्षा में पास हो गया तुम्हारा बेटा कलक्टर बन गया। ये सुनकर माँ की आंखों से आंसू आ गए और दोनों रोने लगे।


दोस्तों आप इस प्रेणादायक कहानी से क्या समझे कि हमें हमारे लक्ष्य के लिए हमेशा मेहनत करते रहना चाहिए। दुनिया चाहे हम पर हंसे या फिर मजाक उड़ाए लेकिन हमेशा अपने लक्ष्य का पीछा करना चाहिए। अगर ये जज्बा होगा तो कामयाबी एक दिन जरूर मिलेगी।


2. Best Motivational Short Story In Hindi For Students | हौसलों की उड़ान

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मोटिवेशनल स्टोरी


एक बार की बात है काशीपुर नामक गाँव में जगन नाम का एक भिखारी अपनी बेटी गौरी के साथ रहा करता था। गौरी की माँ का गाँव में फैली महामारी के कारण देहांत हो गया था और जगन को ठीक से दिखाई नहीं देता था। इस वजह से उसे कहीं काम नहीं मिलता था और मजबूरन भिखारी को अपनी बेटी के साथ भीख मांगना पड़ता था।

लेकिन गौरी को भीख मांगना पसन्द नहीं था वो पढ़ाई लिखाई में ध्यान देती थी। जब भी गौरी पिता के साथ गाँव के सेठानी के घर भीख मांगने जाती तो वहां उनके बेटे राजू को पढ़ते देख उसे खुद के लिए बहुत बुरा लगता था।


ये देख सेठानी ताने मार के अपने नौकर से कहती देख तेरे दरवाजे पर वहीँ भिखारी भीख मांगने के लिए आया होगा उसे जल्दी से भीख देकर भगा दरवाजे से। गाँव में एक भी अस्पताल नहीं है और अगर इन मनहूसों की बीमारी मेरे बेटे राजू को लग गयी तो मैं क्या करूंगी ?


ये सुनकर दोनों वहां से दुःखी होकर चले गए। तब गौरी ने कहा- पिताजी सारा गांव हमसे दूर क्यों भागता है ? क्या हम बुरे लोग है ? ये सुनकर गौरी के पिताजी ने कहा- नहीं बेटा बुराई तो हमारी गरीबी और इनकी सोच में हैं। गौरी ये सुनकर पिताजी से कहा- पिताजी एक दिन बहुत बड़ी डॉक्टर बनूंगी और आपके आँखों का इलाज करूंगी। मैं इस गांव में एक अस्पताल भी खोलूंगी।


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ऐसा सुनकर गौरी के पिताजी ने कहा- बेटी हमारे लिए तो दो वक्त की रोटी खाना भी मुश्किल है। ये सब तो बड़े लोगों के लिए सपने हैं। काश! मैं तुम्हारे लिए कुछ कर पाता।


तभी एक औरत ने गौरी को अपने पास बुलाया और कहा- अरे वो गौरी अगर तुम हमारा टॉयलेट साफ कर दोगी तो इसके बदले मैं तुझे कुछ भीख दूंगी। गौरी ने उनकी बात मानी और टॉयलेट साफ कर दिया।


लेकिन गौरी को ये बात बहुत बुरी लगी। तभी से गौरी ने ये फैसला कर लिया कि वो एक दिन डॉक्टर जरूर बनेगी। उसने अपने पिता को रहीम चाचा के पास बिठा दिया और वो खुद कई दिनों तक गांव में खिलौने बेचकर पैसे कमाने लगी और फिर एक दिन गांव की शिक्षिका रेणु देवी से मिलकर वो गांव के स्कूल में पढ़ने जाने लगी।


इसके बाद गौरी रोज स्कूल से आने के बाद पुरे गांव में घूमकर खिलौने बेचती और पैसे कमाती। साथ ही अपने अंधे पिता की देखभाल भी करती। गौरी रातभर जगकर पढ़ाई किया करती थी और अपने मेहनत के दम पर हमेशा क्लास में टॉप करती थी।


गौरी की हिम्मत और सफलता देखकर उस सेठानी और गांव के सभी लोग हैरान थे। अब लोग गौरी और उसके पिता जगन से जलने लगे।


सेठानी कहने लगी- ये भिखारन कौन सा पढ़ लिखकर डॉक्टर या फिर कलक्टर बनेगी मैं भी देखती हूँ। गौरी हर साल अच्छे अंकों से पास होती और शिक्षिका रेणु भी गौरी की पढ़ाई में खूब मदद करती।


धीरे धीरे समय गुजरता गया और गौरी बड़ी होती चली गई। उसने अपने मेहनत और लगन से अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और आगे डॉक्टर की पढ़ाई के लिए कॉलेज में एडमिशन के लिए एग्जाम दिया और एग्जाम में टॉप भी किया।


ये खबर सुनकर गौरी के पिता और शिक्षिका रेणु दोनों बहुत खुश हुए। लेकिन अब गौरी को डॉक्टर की पढ़ाई के लिए गांव छोड़कर शहर जाना था और वो उदास हो गयी। तब रेणु ने कहा- गौरी तुम किसी बात का कोई फिक्र मत कर मैं यहाँ सब कुछ सम्भाल लुंगी। तुम बस शहर जाओ और डॉक्टर बनकर आना।


इसके बाद गौरी पढ़ाई के लिए शहर चली गई। गुजरते समय के साथ वो अपने सपने की तरफ कामयाबी के साथ तेजी से बढ़ने लगी।


कई दिनों तक उसकी कोई खोज खबर नहीं आयी। कुछ साल बाद दोबारा गांव में महामारी तेजी से फैल गयी और रेणु के पिता सहित सेठानी और उसका बेटा राजू सभी बहुत बीमार पड़ गए और नगर के एक छोटे से अस्पताल में पड़े रहे।


पर कई दिनों से कोई डॉक्टर देखने नहीं आया। सब बहुत दुःखी थे और उदास मन से भगवान से जिंदगी देने की प्रार्थना करने लगे। तभी एक नर्स ने सभी लोगों को खबर दी कि अब चिंता करने की कोई बात नहीं है। आज सरकार की तरफ से शहर की सबसे बड़ी डॉक्टर तुम सबका इलाज करने आने वाली है।


ये सुनकर गांव वाले बहुत खुश हो गए। तभी अस्पताल के सामने एक कार आकर रुकी और उसमें से एक डॉक्टर निकली। नगर सरपंच ने उनका माला पहनाकर स्वागत किया।


जब वो अस्पताल के अन्दर आयी तो उसे देख सभी हैरान हो गए क्योंकि वो डॉक्टर कोई और नहीं वहीँ भिखारन लड़की गौरी थी। गौरी ने सबसे पहले अपने पिता के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया और इसके बाद पूरे गांव के लोगों को इलाज कर महामारी से मुक्त कराया।


गौरी के इलाज से गांव वाले कुछ दिनों में ही ठीक हो गए। गौरी ने अपने पिता के आंखों का ऑपरेशन करवाकर उनका रौशनी भी वापस लायी। गौरी ने अपने मेहनत के दम पर अपने लक्ष्य को हासिल किया और पुरे गाँव के लोगों का मदद किया। अब सेठानी सहित बाकी गांव वालों को अपनी गलती के लिए माफी मांगने लगे।


सभी गौरी को फूल मालाओं का हार पहनाकर उसके नाम का जय जयकार करने लगें और ये देख गौरी के पिता का सीना गर्व से चौड़ा हो गया।


तो बच्चों इस प्रेणादायक कहानी से हमें यहीं सिख मिलती है कि अगर गौरी की तरह मेहनत और लगन तथा दृढ़ निश्चय से किसी काम को किया जाए तो उसमें हमें कामयाबी जरूर मिलती है।


3. Real Life Inspirational Short Story In Hindi For Children | माँ की इज्जत


एक गांव में बहुत ही गरीब औरत रहा करती थी। जिसका नाम विमला था जो अपने इकलौते बेटे रौशन और बहू गौरी के साथ रहा करती थी। विमला के पति का जल्द ही देहांत हो जाने के कारण घर की सारी जिम्मेदारी उसके बेटे रौशन पर आ गयी थी। लेकिन गांव में रौशन को कोई काम ना मिलने के कारण गरीबी और बेरोजगारी से उसकी मुसीबतें और बढ़ते चली गई।


विमला की बहु बहुत स्वार्थी और लालची स्वभाव की थी। एक दिन उसने अपने पति से कहा- अजी सुनिए अब यहाँ कुछ नहीं रखा है अब हमें गांव छोड़कर शहर चला जाना चाहिए तभी हमारे हालात सुधर पाएंगे, वरना हमें भूखा ही रहना पड़ेगा।


तब रौशन बोला- फिर माँ यहाँ अकेली कैसे रह पायेगी ? गौरी बोली आप माँ की चिंता मत कीजिये जब आपको नौकरी मिल जाएगी तब हम माँ को पैसे भेज दिया करेंगे।


रौशन अपनी माँ को अकेला छोड़ पत्नी गौरी के साथ शहर चला गया। कई महीने बीत जाने के बाद भी उसकी कोई खबर नहीं आयी। बेटे और बहू को शहर चले जाने के बाद विमला पेट पालने के लिए दर दर भटकने लगी और भीख मांगकर अपना गुजारा करने लगी।


वो हमेशा अपने बेटे के लौटकर आने का इंतजार करती पर उनकी न तो कोई खबर आई और ना ही पैसा आया। विमला मन्दिरों और रेलवे स्टेशन पर भीख मांगने लगी। पर उसे ज्यादा पैसे नहीं मिलते थे और कई दिनों से उसे भूखा ही सोना पड़ता था।


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विमला की आवाज बहुत ही सुरीली थी और उसे गाने का भी बहुत शौक था। इसलिए उसने गाना गाकर भीख मांगना शुरू कर दिया। जिससे बाद में धीरे धीरे लोग विमला का गाना सुनने के लिए इकट्ठा होने लगे।


विमला के गाने से लोगों का अच्छा मनोरंजन होता और विमला को भीख में थोड़ा ज्यादा पैसे मिल जाते थे। अब विमला रेलवे स्टेशन पर ही गाना गाती और उसे दो वक्त का खाना भी मिल जाता।


एक दिन विमला रेलवे स्टेशन पर बैठी एक गाना गा रही थी। तभी वहां एक सज्जन व्यक्ति आलोक विमला के पास आया और वो सज्जन व्यक्ति आलोक एक फिल्म का डायरेक्टर था। आलोक विमला की सुरीली आवाज सुनकर ढंग रह गया।


वो विमला के पास आकर बोला- माँ जी मैंने आपका गाना सुना है और आप बहुत ही सुरीली आवाज में गाती है। मैं चाहता हूँ कि आप मेरी नई फिल्म में गाना गाये। मुझे आपकी ही तरह एक नई आवाज की तलाश थी।


ये सुनकर विमला की आँखों मे आंसू आ गए। आलोक विमला को अपने साथ मुंबई शहर ले गया और विमला से अपने फ़िल्म में गाना भी गवाया और इसके बदले विमला को खूब सारे पैसे मिले। देखते ही देखते विमला का गाना हर जगह प्रसिद्ध हो गया लोग उसकी आवाज को काफी पसंद करने लगे।


अब विमला की जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी। वो एक भिखारन से मशहूर गायिका बन गयी थी। उसे टीवी, न्यूज पेपर हर जगह दिखाया जाने लगा।


एक दिन जब गौरी ने अपनी सास विमला को टीवी पर देखा तो उड़की आंखे फटी रह गई। उसके मन में पैसे का लालच जाग उठा। उसने तुरंत ही अपने पति रौशन को ये बात बताई और बोली देखिए माँ जी अब टीवी पर आ गयी है साथ ही साथ काफी मशहूर और अमीर बन गयी है।


इतने साल बीत गए हम माँ जी से नहीं मिले अब हमें माँ जी के पास चलने चाहिए। आखिर हमारे अलावा उनका है कौन ? तब रौशन ने कहा- हाँ तुम शायद ठीक ही कहती हो।


रौशन और गौरी दोनो विमला के पास पहुँचे। जहाँ वो एक बड़े बंगले में रहती थी। सिक्युरिटी गार्ड ने दोनों को अन्दर जाने से रोका। तब विमला ने अपने बेटे की आवाज सुनकर वो फौरन बाहर आयी और अपने बेटे को देख विमला की आंखों में आंसू छलक पड़े।


उसने तुरंत ही अपने बेटे को गले से लगा लिया और रोते हुए अपने बेटे से बोली- मेरा बेटा आज तुम्हें अपने माँ की याद आयी। मैंने तुझे कितना तलाश किया।


अपने माँ की ऐसी ममता और प्रेम देखकर रौशन और गौरी दोनों को अपनी गलती का पछतावा हुआ और दोनों ने अपनी गलती के लिए माफी मांगी।


दोस्तों एक माँ के लिए अपने बच्चों के खुशी से बढ़कर कुछ नहीं होता है। इसलिए विमला ने उन दोनों को माफ कर गले से लगा लिया।


तो बच्चों माँ की खुशी से बढ़कर इस दुनिया में कुछ भी नहीं। इसलिए अपने स्वार्थ को त्यागकर अपने माँ बाप को कभी अकेला और बेसहारा नहीं छोड़ना चाहिए।


तो दोस्तों आपको ये Top 3 Real Life Inspirational Short Stories In Hindi For Kids कैसी लगी ? अगर आपको ये तीनों प्रेणादायक कहानियां अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें साथ ही ऐसे ही प्रेणादायक कहानियों के लिए हमेशा हमारे साथ जुड़े रहें। 

धन्यवाद।

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