Vivah Sanskar Paddhati Gita Press Gorakhpur Book | विवाह संस्कार पद्धति बुक
जैसा कि आप सभी जानते होंगे कि विवाह दो आत्माओं का पवित्र बन्धन है। जिसमें दो प्राणी अपने अलग-अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित परिवार का निर्माण करते हैं। दुनिया में जितने भी स्त्री और पुरुष है उन सभी में भगवान ने अलग-अलग विशेषताएँ और कुछ अपूणर्ताएँ दे रखी हैं।
विवाह के बाद इंसान एक-दूसरे की अपूर्णताओं की अपनी-अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं। जिसके बाद एक पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण होता है। शायद इसीलिए मानव जीवन में विवाह को आवश्यक माना गया है।
विवाह के बाद पति-पत्नी एक-दूसरे को अपनी-अपनी योग्यताओं और भावनाओं के द्वारा गाड़ी में लगे हुए दो पहियों की तरह हमेशा अपने पथ पर अग्रसर होते जाना विवाह का सही उद्देश्य है। पति-पत्नी के दाम्पत्य जीवन में वासना का स्थान तो अत्यन्त तुच्छ और नगण्य है। हमारा संस्कार ऐसा नहीं होना चाहिए।
हिन्दू समाज में वर और वधु को परिवार की जिम्मेदारी उठाने योग्य मानसिक और शारीरिक गुण आने के लिए पति-पत्नी का विवाह संस्कार (Vivah Sanskar) किया जाता है। सनातन संस्कृति में पति-पत्नी का विवाह सिर्फ शारीरिक और सामाजिक सम्बंध बनाना नहीं होता है, बल्कि शादी तो पति-पत्नी के आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत माना जाता है।
एक अच्छा गृहस्थ जीवन उसी को कहा जाता है जो किसी समाज के विकास में अहम योगदान निभाता है। हमारे सृष्टि, समाज का विकास तभी संभव है जब हमारे अंदर संस्कार हो। इसलिए मनुष्य का विवाह संस्कार करना अतिआवश्यक होता है।
लेकिन विवाह संस्कार करने और कराने के लिए इसकी पूरी पद्धति का ज्ञात होना बहुत जरूरी है, क्योंकि आप तो जानते ही हैं कि गलत तरीके से किया गया कोई भी संस्कार उल्टा पाप का भागी बनाता है।
इसलिए हम आपके लिए विवाह संस्कार पद्धति (Vivah Sanskar Paddhati) लेकर आये हैं, जिसके मदद से कोई अज्ञानी भी बिल्कुल सरलता से विवाह संस्कार करा सकता है। इसलिए विवाह संस्कार पद्धति पुस्तक (Vivah Sanskar Paddhati Book) आपके लिए आपके लिए बहुत जरूरी है।
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विवाह संस्कार पद्धति पुस्तक | Vivah Sanskar Paddhati Book PDF Download
Vivah Sanskar Paddhati |
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पुस्तक का नाम: विवाह संस्कार पद्धति
पुस्तक कोड: 2191
प्रकाशक: गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा: हिंदी-संस्कृत अनुवाद
मुख्यपृष्ठ: पेपरबैक
FAQ – Vivah Sanskar Paddhati
Q. विवाह संस्कार कितने होते हैं?
हिंदू धर्म में कुल 16 संस्कार होते हैं। उनमें से ही एक संस्कार पाणिग्रहण संस्कार या विवाह संस्कार होता है। विवाह संस्कार हिन्दू धर्म में 13वां संस्कार होता है।
हिंदू धर्म में कितने संस्कार होते हैं?
सोलह
हिंदू धर्म में विवाह संस्कार को सर्वश्रेष्ठ क्यों माना गया है?
विवाह शब्द का अर्थ होता है- अपने उत्तरदायित्व का सही से वहन करना। अन्य धर्मों में विवाह को सिर्फ करार कहा जाता है, जो कभी भी तोड़ा जा सकता है।
लेकिन हिन्दू विवाह में ऐसा नहीं होता है। इसमें जन्म-जन्मांतर तक रिश्ता बना रहता है, जो कभी भी नहीं टूट सकता है। इसलिए पूरी दुनिया में हिंदू धर्म में विवाह संस्कार को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
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